दैनिक जागरण यूपी के स्टेट हेेड मेरे अनुज जैसे आशुतोष शुक्ल की एक पुस्तक अभी-अभी प्रकाशित हुुई
है। उन्होंने एक प्रति मुझे भेजी। मैने, इसेे पढ़ तो उसी दिन लिया था जिस दिन यह मुझेे मिली।लगभग एक महीने बाद आज इसपर कुछ लिखा, जो आपके सामने हैै। मेरी सम्मति है कि यह पुस्तक हर किशोर को पढ़नी चाहिए।
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हाइ गायज
कृष्णा कालिंंग
(ट्रैैवलॉग अाॅॅफ ए टीनेजर -पृथ्वी टू पृथ्वी वाया स्वर्ग)
बच्चों को कहानियां बहुत अच्छी लगती हैं। वे, उन्हें स्वप्नलोक में ले जाती हैं ,उनमें जिज्ञासा और कौतुहल पैदा करती हैं।कहानी सुनते समय वे उनमें खो जाते हैं और तरह तरह के सवाल भी करते हैंं। जो कहानी उन्हें अच्छी और तार्किक लगतीहै,उनकी जिज्ञासा को शांत करती हैे,वह उन्हें न केवल काफी दिनों तक याद रहती है बल्कि उनके अचेतन मन को भी प्रभावित करती है और जाने -अनजाने वे उसके संदेश को भी ग्रहण कर लेते हैं। यह संदेश कभी-कभी उनपर स्थायी प्रभाव भी डालता है। कभी जब विष्णु शर्मा ने पंचतंंत्र की कहानियां किसी राजा के शैैतान पुत्रों को सुनाकर उन्हें नीतिज्ञ बनाने का सार्थक प्रयास किया था, तो निश्चित ही उनके मन में कहानियों की ताकत का अहसास रहा होगा।पंंचतंत्र और हितोपदेश की कहानियां आज भी शाश्वत हैं और उनका संदेेश आज भी किशोर मन पर उतना ही प्रभाव डालता हैं। आशुतोष शुक्ल ने जब हाइ गायज-- कृष्णा कॉलिंग--(ट्रैैवलॉग अाॅॅफ ए टीनेजर -पृथ्वी टू पृथ्वी वाया स्वर्ग) लिखने की सोची होगी तो निश्चय ही उनके मन में कहानी की इसी सार्वकालिक ताकत का अंदाज रहा होगा। वह इसे लिखते भी हैं अपने पहले पाठक अपने पुत्र के लिए -- उसे उन संस्कारों से पूर्ण करने के लिए जिसे वह समाज के हर किशोर में देखना चाहते हैं और इसी से वह अपने युवा मित्र की असमय हुई मौत के सहारे कहानी का शिल्प रचते हैं।
राहुल नामक किशोर की दुर्घटना में मृत्युु होती है, उसमें भी वही सब कमियां हैं जो आजकल के अनियंत्रित किशोरों में होती हैं। उसकी मुलाकात स्वर्ग में यमराज के दूूतों से होती है। जब उसे पता चलता है कि उसकी मृत्युु हो गई है और वह अपनी मां के पास नहीं जा पाएगा तो वह यम के दूतों से मां के पास भेजने का अनुनय विनय करता हैं, अच्छा आदमी बनने का वादा करता है और बहुत आग्रह के बाद कृष्ण उसे पृथ्वी पर वापस भेजने का निर्णय करते हैं,लेकिन इसके पहले वे स्वर्ग में उसे उन लोगों से मिलाते हैं जो अच्छे लोगों की आत्माएं हैं लेकिन पृथ्वी की सामााजिक विषमताओं की शिकार होकर यहां पहुंचीी हैं।इन आत्माओं के माध्यम से राहुुुुल को पृथ्वी की समस्याओं और विसंगतियों से अवगत कराया जाता हैै, इनमें क्या सही हैै और क्या गलत,इसका अंतर बताया जाता हैै और अच्छे मानव और अच्छे समाज में क्या होना चाहिए,यह बताया जाता हैै।यह पाठ पढने के पहले राहुल की कृष्ण से काफी रोचक बहस भी होती है। दुर्घटना के बाद राहुल का शव जब तक अस्पताल में रहता है,तब तक उसका पाठ चलता है,इधर डाक्टर और परिजन उसके बचने की आशा छोड़ चुके हैं, लेकिन कृष्ण राहुल की आत्मा को पृथ्वी पर भेज देते हैं। उसके मृत शरीर में अचानक स्पंदन होता हैै और वह जी उठता हैै।
लोग इसे चमत्कार मानते हैं। राहुुल जी उठता हैै लेकिन स्वर्ग की बातें उसे याद रहती है। वह आगे चलकर एक अच्छा,नेक और परोपकारी डाक्टर बनता हैै अौर जो सीख उसे स्वर्ग से मिलती हैै,उसी के आधार पर अपने जीवन का निर्माण करता हैै।
बस इतनी सी कथावस्तुु हैै,इस पुस्तक में,लेकिन उसेे जिस रोचक तरीके से प्रस्तुत किया गया है,वह इसे पढ़ने के लिए अंत तक जिज्ञासा बनी रहती है। इसे, हर अध्याय में उसकी सामग्री के अनुसार रेखाचित्रों से सजाया गया हैै।लगभग सौ पेज की यह पुस्तक यदि एक बार आप पढ़ना शुरू करेंगे तो बीच में नहीं छोड़ सकते हैं,यह मेरा दावा है।पुस्तक की छपाई अच्छी है, कहीं प्रूफ की गलती नहीं है। पहले अध्याय केे आखिरी वाक्य पर पुन: विचार करना होगा और संभव हो तो अगले संस्करण में इसे सुधारा जाना चाहिए।--इसमें कृष्ण ही सत्यकेतु से कहते हैं-- राहुुुुल को कृष्ण के पास ले जाओ।
